Beti Bachao, Beti Padhao Abhiyan(2021) मुख्य तथा आवश्यक तथ्य हिन्दी में-

Beti Bachao, Beti Padhao Abhiyan-

Beti Bachao

 

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (Beti Bachao, Beti Padhao) भारत सरकार का एक कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य लड़कियों के पालन-पोषण के लिए उनके माता-पिता अथवा अभिभावक को जागरूक करना है।

                              इस अभियान की शुरुआत 100 करोड़ रुपये के आबंटन से किया गया था। यह योजना मुख्यतः उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, बिहार तथा दिल्ली के लोगों के लिए प्रारंभ किया गया।

Beti Bachao, Beti Padhao अभियान संक्षिप्त विवरण-

राष्ट्र                   भारत

प्रधानमंत्री         नरेंद्र मोदी

मंत्रालय             महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा मानव शंसाधन विकास मंत्रालय

प्रारंभ                 22 जनवरी 2015; 5 वर्ष पूर्व

स्थिति                जारी

उद्घोष              Beti Bachao, Beti Padhao

वेबसाईट           wcd.nic.in/schemes/beti-bachao-beti-padhao-scheme

Beti Bachao, Beti Padhao योजना के प्रारंभ होने के कारण-

1991 के जनगणना के परिणाम चिंताजनक थे, क्योंकि लिंगानुपात में लड़किओं की संख्या कम थी, परंतु 2001 के जनगणना के परिणाम और भी चिंताजनक थे। इसके उपरांत 2011 के जनगणना के परिणाम से यह सिद्ध हो गया था कि यह एक प्रकार का प्रवृति बन गया था।

                           इस लिंगानुपात का एक मुख्य कारण दहेज भी था। जैसा की हम सब जानते हैं कि लड़कियों के शादी के लिए लड़की के परिवार को एक बड़ी राशि लड़के के परिवार को देना पड़ता है। जिससे लड़की के परिवार को ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ता है। अतः इस कारणवश लिंगानुपात में लड़किओं की संख्या कम होती जा रही थी।

                            दूसरी ओर, गर्भपतन अथवा भ्रूणहत्या भी एक महत्वपूर्ण कारण था जिससे भारत के कुछ राज्यों में लिंगानुपात में अधिकतम अंतर देखने को मिला। इस गर्भपतन का सारा श्रेय तकनीकी तथा मेडिकल सुविधा को जाता है, क्योंकि गर्भ के समय अल्ट्रासाउन्ड से यह ज्ञात हो जाता कि भ्रूण लड़का है या लड़की। यह जानकारी होने के पश्चात अधिकतर माता-पिता लड़की होने पर गर्भपतन करा देते थे।

                          कुछ रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में अब भी भ्रूणहत्या के मामले बढ़ते जा रहें हैं। वर्ष 2001 के जनगणना के अनुसार 1000 लड़कों पर 932 लड़कियों का लिंगानुपात था, परंतु 2011 के जनगणना के परिणाम में यह ज्ञात हुआ कि अब केवल 918 ही लिंगनुपात रह गया है। यदि यह इसी प्रकार से जारी रहा तो वर्ष 2021 तक केवल 900 का ही लिंगानुपात रह जाएगा। जो कि एक चिंताजनक समस्या है।

                          इन्ही सब कारणों से Beti Bachao, Beti Padhao अभियान की शुरुआत हुई। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह अभियान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

Beti Bachao, Beti Padhao योजना लागू करने की रणनीतियाँ-

1. इस अभियान के सफल बनाने में सामाजिक लामबंदी तथा संचार की व्यवस्था की गई जिससे बच्चियों के मान तथा उनके शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सके।

2. उन स्थानों पर पाबंदी लगाया गया जहां उनके जन्म में भेद-भाव किया जाता था अर्थात उन स्थानों पर पाबंद लगाए गए जहां अल्ट्रासाउन्ड के माध्यम से लिंग की पहचान की जाती थी।

3. उन शहरों तथा राज्यों पर अधिक ध्यान दिया गया जहां अनुपात में अधिक अंतर था।

Beti Bachao, Beti Padhao का संचालन-

इस अभियान के संचालन के लिए के लिए भारत सरकार ने एक राष्ट्रीय कार्यकारी समिति का निर्माण किया जो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को प्रोत्साहित करे। वर्ष 2015 से, यह समिति अनेक प्रकार के कार्यक्रम का संचालन करती है जो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को प्रोत्साहन मिलता है। डॉ. राजेन्द्र पी. इस अभियान के राष्ट्रीय संयोजक हैं।

               भारतीय मेडिकल संघ भी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को सहायता प्रदान करता है।

                                           वर्ष 2014 में, बच्चियों के अन्तराष्ट्रिय दिवस पर आयोजित समारोह पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बच्चियों के  पालन-पोषण तथा शिक्षा से संबंधित किसी भी सुझाव अथवा सहायता के लिए www.mygov.in पोर्टल पर भारतीय नागरिकों को आमंत्रित किया।

                    इसके पश्चात पानीपत हरियाणा में 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की गई। इसका मुख्य लक्ष्य 100 से अधिक शहरों तथा जिलों में लिंगानुपात में सुधार करना था जहां लिंगानुपात सबसे अधिक अंतर था। इस अभियान में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव शंसाधन विकास मंत्रालय ने सहयोग दिया।

                         26 अगस्त 2016 को, वर्ष 2016 के ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता भारतीय खिलाड़ी साक्षी मलिक को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का ब्रांड अंबेसडर बनाया गया।

महत्वपूर्ण तथ्य-

 जून 2015 में “#बेटी के साथ सेल्फ़ी” सोशल मीडिया पर बहुत अधिक वायरल हुआ। इसका शुरुआत तब हुआ जब हरियाणा के जींद जिले के बीबीपुर गाँव के सरपंच ने अपने बेटी नंदनी के साथ सेल्फ़ी लेकर फ़ेसबुक पर 9 जून को पोस्ट किया। जो कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुआ।

                         बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत पीठोरगढ़ जिले में अनेक कदम उठाए गए। बच्चियों के सुरक्षा तथा उनकी शिक्षा के लिए डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स तथा ब्लॉक टास्क फोर्स का निर्माण किया गया। लोगों को जागरूक करने के लिए अनेक रैली तथा कार्यक्रमों का संचालन किया  गया

Note- अन्य योजनाओं के बारे में जानें –

इतिहास-

वर्ष 2001 के भारत के जनगणना के अनुसार, बच्चों (0-6 वर्ष) का लिंगानुपात 1000 लड़कों पर केवल 927 लड़कियाँ थी। परंतु वर्ष 2011 के जनगणना में यह लिंगनुपात घट कर 1000 पर 918 हो गया। वर्ष 2012 के UNICEF के एक  रिपोर्ट के अनुसार भारत लिंगानुपात के मामले में 195 देशों में 41वें स्थान पर था।

Beti Bachao, Beti Padhao अभियान की असफलताएं-

इस अभियान की कुछ असफलताएं भी हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं भारत में आजकल रेप तथा मर्डर के अनेक मामले सामने आ रहें हैं। यह भी एक कारण है कि आज लोग लड़कियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं तथा बेटी को जन्म नहीं देना चाहते हैं।

1. दूसरी ओर, कानून बनने के बाद भी अब तक दहेज प्रथा प्रचलित है। यह भी लिंगानुपात का एक कारण है।

2. आज भी कुछ मेडिकल संस्थान ऐसे हैं जहां अल्ट्रसाउन्ड के पश्चात लड़की साबित होने पर भ्रूणहत्या की जा रही है।

3. यही कुछ कारण हैं जिससे अब भी लिंगानुपात में अंतर देखने को मिलता है। 

Note- Beti Bachao, Beti Padhao Abhiyan वर्तमान में कितना कारगर साबित हो रहा है? क्या इससे कोई लाभ प्रकट हो रहा है? अपनी राय दें। 

Note- ऐसे ही अन्य योजनाओं के बारे में जानने के लिए- www.mypmyojana.in पर जाएं। 

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